इन खास रंगों का राज क्या है?
फुटबॉल ब्लैक एंड व्हाइट क्यों-
पहले फुटबॉल एकरंगी हुआ करती थी, लेकिन 1970 में मैक्सिकों में खेले गए फुटबॉल विश्व कप में पहली
बार काले-सफेद पैनलों की डिजाइन वाली फुटबॉल तैयार की गई। दरअसल टीवी पर इस मैच का
लाइव प्रसारण होना था, तब एडिडास कंपनी ने इस डिजाइन के बारे में सोचा ताकि दर्शकों को
ब्लैक एंड वहाइट स्क्रीन पर फुटबॉल के मूवमेंट्स आसानी से नजर आ जाएं। इस फटबॉल को
दर्शकों के साथ-साथ खिलाडियों और रेफरीज ने भी खूब पसंद किया, क्योंकि यह आसानी से नजर आती
थी।
बबलगम गुलाबी रंग की क्यों-
फ्लीयर च्यूंगम कंपनी के कर्मचारी वाल्टर डीमर आए दिन नए-नए प्रकार के
च्यूंगम बनाने की कोशिशि करते थे। वर्ष 1928 में भी एक दिन खाली वक्त में यह 23 वर्षीय
कर्मचारी एक कम चिकने वाली और लचीली च्यूंगम बनाने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने
मुंह में लेकर देखा, इससे बबल्स वाकई काफी बड़े
बन रहे थे। संयोग से उस वक्त फैक्टरी में गुलाबी रंग तैयार था। वाल्टर ने इसे आकर्षक
बनाने के लिए गुलाबी रंग डाल दिया। तब से यह रंग बबलगम्स के लिए र्टेडमार्क ही बन
गया।
फर्स्ट प्लेस रिबन ब्लू क्यों-
दुनिया
के कई देशों में ' फर्स्ट प्राइज ' जीतने दुवालों को ब्लू रिबन से नवाजा जाता है ।
प्रथम स्थान पर आने वाले प्रतियोगी को भी ब्लू रिबन में मेडल पहनाया जाता है ।
दरअसल 1860 के आसपास समुद्री जहाजों के मस्तूल पर '
ब्लू रिबैंड ( तिकोन झंडानुमा
कपड़ा ) लहराया करता था, जो सबसे जल्दी सफर तय करने वाले यात्री जहाजों को पुरस्कार के
रूप में दिया जाता था। जानकारों का मानना है कि कालांतर में यह ब्लू रिबैंड ही
बदलते-बदलते ब्लू रिबन बन गया , जिसे सर्वश्रेष्ठता के साथ जोड़ दिया गया ।
कराटे बेल्ट काली क्यों होती है-
कराटे
में सर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्च स्तर के खिलाड़ी को जो बेल्ट पहनाई जाती है, वह काली ही क्यों होती है ? इस संबंध में वैसे तो कई
दावे किए गए है, लेकिन सर्वमान्य दावा यह है कि सफेद बेल्ट से शुरुआत करते हुए
विद्यार्थी की तरक्की और प्रतिभा के बढ़ते स्तर के मुताबिक यह रंग गाढ़ा होता चला
जाता है , सफेद, पीला, नारंगी, हरा, नीला, बैंगनी, भूरा, लाल और फिर अंत में काला, क्योंकि काला सबसे गाढ़ा रंग है और इस पर कोई दूसरा
रंग नहीं चढ़ता । इसीलिए काले रंग को कराटे में श्रेष्ठता का प्रतीक माना गया है ।
बुलफाइटर के पास लाल कपड़ा क्यों-
ज्यादातर
लोगों में यह भ्रम फैला हुआ है कि बुलफाइटिंग में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी अपने
हाथ में लाल कपड़ा इसलिए रखते हैं कि लाल रंग देखते ही सांड भड़क उठता है और
दर्शकों को लड़ाई का असली मजा तभी आता है , जब सांड उत्तेजित होकर हमला करे लेकिन सच यह है कि
सांड कपड़े के रंग नही , बल्कि उसके मूवमेंट के कारण उत्तेजित होता है । जानकारों का
मानना है कि सांड से लड़ने वाले लाल रंग का कपड़ा इसलिए रखते हैं , ताकि वे रक्त के निशानों
को छिपा सकें ।
आत्मसमर्पण के लिए सफेद झंडा क्यों-
आत्मसमर्पण
के लिए सफेद झंडा क्यों: आ आपने टीवी या फिल्मों में देखा होगा या फिर कहानियों
में पढ़ा होगा कि संधि, मैत्री या आत्मसमर्पण के लिए सफेड झंडा लहरा दिया जाता था या
दुश्मन को दिखाया जाता था । माना जाता है कि पुराने जमाने में ज्यादातर लोग सफेद
कपड़े ही पहनते थे, इसलिए सफेद कपड़ा ही आसानी से उपलब्ध होता था, जिसे लहराकर इशारा किया जा
सके। वैसे यह रंग किसी भी बैकग्राउंड में आसानी से नजर आने वाला भी है ।
दुल्हन की पोशाक सफेद क्यों-
पश्चिमी
देशों में या इसाईयों में दुल्हन को सफेद झक पोशाक में आपने जरूर देखा होगा । पहले
ऐसा कुछ नहीं था, दुल्हनें किसी भी रंग की पोशाक पहन लेती थीं, लेकिन 1840 में इंग्लैंड
की रानी विक्टोरिया ने अपनी शादी में सफेद लेस वाला लम्बा गाउन क्या पहना, उन्होंने तो ट्रेंड ही बदल
डाला । सफेद जोड़े में रानी इतनी सुन्दर लगी कि उसके बाद से दुल्हनों ने सफेद
ड्रेस ही पहननी शुरू कर दी ।
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