जानिए कुछ ख़ास बाते सर्वोच्च न्यायालय, के बारे में।
भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत का सर्वोच्च न्यायिक निकाय और संविधान के
तहत भारत का सर्वोच्च न्यायालय है। यह सबसे वरिष्ठ संवैधानिक न्यायालय है, और इसमें न्यायिक (judicial review) समीक्षा की शक्ति
है। भारत के मुख्य
न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख और मुख्य न्यायाधीश होते हैं। इसे भारत में
सबसे शक्तिशाली संस्थान माना जाता है, यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और विभिन्न
सरकारी प्राधिकरणों (authorities) के साथ-साथ केंद्र सरकार बनाम राज्य सरकारों या राज्य सरकारों बनाम देश में
किसी अन्य राज्य सरकार के बीच विवादों को निपटाने के लिए आवश्यक है। संविधान के अनुच्छेद
142 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के
आदेशों को लागू करना भारत के राष्ट्रपति का कर्तव्य है और न्याय के हित में आवश्यक
समझे जाने वाले किसी भी आदेश को पारित करने के लिए न्यायालय को अंतर्निहित क्षेत्राधिकार
प्रदान किया गया है।
भारत का सार्वेच्च न्यायालय 28 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया। इससे पहले 1986
में इंडियन हाईकोर्ट्स एक्ट तैयार किया गया,
जिसके अंतर्गत राज्यों में हाईकोर्ट की स्थापना की गई तथा तत्कालीन कलकत्ता,
बाम्बे व मद्रास में सुप्रीम कोर्ट स्थापित किए गए। साथ ही
प्रेसीडेंसी कस्बें में सदर अदालतें भी खोली गई। 1935 में
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट लागू कर फेडरल कोर्ट स्थापित किए जाने तक ये अदालतें सर्वोच्च
न्यायालय की तरह ही कार्य करती थीं। देश के सर्वप्रथम मुख्य न्यायधीश सर एच.जे.
कानिया थे।
1937 से 1950 तक सुप्रीम कोर्ट, संसद भवन के ‘चैम्बर ऑफ प्रिंसेस’ में स्थित था, लेकिन 1958 में इसे वर्तमान भवन में शिफ्ट
कर दिया गया। मूल रूप से भारतीय संविधान में एक मुख्य न्यायाधीश व सात अन्य न्यायधीश
की व्यवस्था दी गई थी और न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जिम्मेदारी संसद को
सौंपी गई थी। प्रारंभिक वर्षों में प्रस्तुत मामलों को सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट
की पूरी पीठ एक साथ बैठा करती थी। कार्य में वृद्धि के साथ समय-समय पर संख्या बढ़ाई
गई जो कि वर्तमान में 31 है।
Comments
Post a Comment
Please Let me Know your Comment